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Chhath Puja 2024: छठ पूजा के रंग में रंगे तेज प्रताप यादव, रोहिणी आचार्य ने भी शेयर की Photos
डिजिटल डेस्क, पटना। नहाय-खाय से शुरू हुए 4 दिवसीय छठ महापर्व का आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया। छठ महापर्व के दौरान प्रदेशभर में काफी हर्षोल्लास का माहौल देखने को मिला। लोगों ने धूमधाम के साथ आस्था के इस महापर्व को मनाया।
वहीं छठ महापर्व के दौरान नेताओं ने भी विधि-विधान के साथ छठी मइया का पूजन किया। प्रदेश के पूर्व मंत्री और लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने भी छठ महापर्व के तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया। वहीं रोहिणी आचार्य ने भी छठ महापर्व की तस्वीरें शेयर की हैं।
सोशल मीडिया पर शेयर की तस्वीरेंराजद विधायक तेज प्रताप यादव ने छठ महापर्व के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय सूर्य देवता को अर्घ्य दिया, जिसकी तस्वीरे उन्होंने सोशल मीडिया पर भी शेयर की हैं।
तीसरा दिन (संध्या अर्घ्य): इस दिन व्रती नदी, तालाब या किसी जलाशय के किनारे जाकर सूर्यास्त के समय सूर्य देवता को अर्घ्य (जल अर्पित करना) देते हैं।
छठ महापर्व पर तेज प्रताप यादव द्वारा शेयर की गई तस्वीरों में छठ मइया के पूजन की टोकरी अपने सिर पर लिए हुए नजर आ रहे हैं।
राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी छठ महापर्व के आखिरी दिन छठ महापर्व की तस्वीरें शेयर कीं
रोहिणी आचार्य ने 'ओम आदित्याय नमः, लोक - संस्कृति के समस्त आयामों व् प्राकृतिक विविधा समाहित पावन कार्तिक मास के महापर्व छठ के चौथे अनुष्ठान प्रातःकालीन अर्घ्य अर्पण की संपूर्णता के साथ आप सबों के सकल मनोरथ की कामना हेतु मेरी शुभेच्छाएं। जय छठी मईया, जय सूर्यदेव' के साथ छठ महापर्व की तस्वीरें साझा कीं।
पहली बार लड़ा लोकसभा चुनावरोहिणी आचार्य ने साल 2024 में पहली बार चुनाव लड़ा। सारण लोकसभा सीट से पहली बार चुनावी मैदान में उतरीं रोहिणी को हार का सामना करना पड़ा। रोहिणी को बीजेपी नेता राजीव प्रताप रुडी ने हरा दिया.राजीव प्रताप रूडी को कुल 4,71,752 वोट मिले, वहीं, रोहिणी आचार्य को केवल 45,8091 वोट ही मिले।
पिता को डोनेट की किडनीरोहिणी आचार्य ने साल 2022 में पिता लालू यादव को किडनी डोनेट की थी, जिसके बाद उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुईं।
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राज्य ब्यूरो, पटना। छठ समाप्त (Chhath Puja 2024) होते ही शनिवार से विधानसभा के चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) लगातार दो दिनों तक सभी चारों सीट पर एनडीए प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा करेंगे। जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा व जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी एक-एक दिन मुख्यमंत्री की चुनावी सभा में उनके साथ रहेंगे।
जदयू से मिली आधिकारिक जानकारी के अनुसार, शनिवार यानी 9 नवंबर को मुख्यमंत्री रामगढ़ और तरारी विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। रामगढ़ विधानसभा में हो रहे उपचुनाव का महत्व इस मायने में है कि वह राजद की सीटिंग सीट है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद के पुत्र सुधाकर सिंह वहां से विधायक थे। उनके सांसद बन जाने के बाद यहां से उनके दूसरे पुत्र अजीत सिंह राजद की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। एनडीए इसे परिवारवाद मानता है।
यहां से एनडीए प्रत्याशी के रूप में भाजपा के अशोक सिंह चुनाव लड़ रहे। मुख्यमंत्री की चुनावी सभा यहां सुबह 11 बजे के करीब है। जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी भी मुख्यमंत्री की सभा में मौजूद रहेंगे।
तरारी में भी कमान संभालेंगे मुख्यमंत्रीरामगढ़ की चुनावी सभा के बाद मुख्यमंत्री की चुनावी सभा तरारी विधानसभा क्षेत्र में होनी है। यह भाकपा (माले) की सीटिंग सीट है। भाकपा (माले) विधायक सुदामा प्रसाद के सांसद बन जाने के बाद यहां उप चुनाव हो रहा। यहां से एनडीए ने भाजपा की टिकट पर विशाल प्रशांत को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह पूर्व विधायक सुनील पांडेय के पुत्र हैं।
10 नवंबर को भी दो विधानसभा सीटों पर प्रचार करेंगे CMमुख्यमंत्री नीतीश कुमार 10 नवंबर को भी दो विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार करेंगे। उनकी पहली सभा इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में होगी। इस सीट से जीतनराम मांझी विधायक थे। उनके सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई है। यहां हो रहे उप चुनाव में उनकी पुत्रवधू दीपा मांझी चुनाव लड़ रहीं। मुख्यमंत्री 11 बजे यहां चुनावी सभी को संबोधित करेंगे। इसके बाद 12 बजे मुख्यमंत्री की चुनावी सभा बेलागंज मेंं है। लंबी अवधि से यह विधानसभा सीट राजद के कब्जे में रही है।
वहां के राजद विधायक सुरेंद्र यादव के सांसद बन जाने के बाद यह सीट खाली हुई थी। यहां से एनडीए प्रत्याशी के रूप में जदयू की मनोरमा देवी चुनाव लड़ रही। जदयू के वरिष्ठ नेता यहां लगातार चुनाव प्रचार कर रहे। मुख्यमंत्री की इमामगंज व बेलागंज में होने वाली चुनावी सभा में जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा भी मौजूद रहेंगे। मुख्यमंत्री की दोनों दिन की चुनावी सभी हेलीकॉप्टर से होगी।
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नीतीश सरकार एक्शन मोड में, 2005 से अब तक संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों का ब्योरा तलब; 3 दिनों के अंदर...
राज्य ब्यूरो, पटना। अगले वर्ष होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) के मद्देनजर एक ओर विभागों में रिक्त पदों को भरने की कवायद जोर-शोर से चल रही है। अलग-अलग विभाग अपने यहां रिक्त पदों का आकलन करने में जुटे हैं। विभागों की कोशिश है कि चुनाव के पहले अधिक से अधिक रिक्त पदों पर नियुक्तियां कर ली जाएं। इसी कड़ी में भवन निर्माण विभाग ने विभाग के प्रशासनाधीन संविदा और बाह्य स्रोत से नियुक्त कर्मियों का ब्योरा तलब किया है।
भवन निर्माण विभाग के उप सचिव शिव रंजन की ओर से सभी अधीक्षण अभियंताओं को एक पत्र भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि 2005 से अब तक संविदा और बाह्य स्रोतों से नियोजित कर्मियों से संबंधित आंकड़े विभाग को हर हाल में तीन दिनों के अंदर मुहैया करा दें। विभाग ने कहा है कि तीन दिनों के अंदर उक्त जानकारी विभाग को ई-मेल के माध्यम से, जबकि 13 नवंबर तक भौतिक रूप से विभाग को अविलंब मुहैया कराई जाए।
विभाग ने अपने पत्र के बकायदा एक फॉर्मेट भी जारी किया है जिसमें भर कर वांछित जानकारी मुहैया करानी होगी। फार्मेट में अनारक्षित पद, अनुसूचित जाति, जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग श्रेणी में नियोजित कर्मियों की अलग-अलग जानकारी देनी होगी। यह जानकारी वार्षिक होगी। उदाहरण के लिए 2005 से 2006 के बीच में कितने नियोजित किए। इसके बाद यह क्रम वार्षिक रूप से बढ़ता जाएगा।
प्रत्येक सोमवार मुख्य सचिव करेंगे योजना व्यय प्रगति की समीक्षाराज्य के विकास कार्यों को गति देने के लिए राज्य के मुख्य सचिव नियमित रूप से विभागों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे हैं। उन्होंने मुख्य सचिव का पद ग्रहण करने के बाद अधिकारियों के साथ पहली बैठक में ही प्रत्येक सोमवार को योजनाओं की समीक्षा का निर्णय लिया है। अब पूर्व घोषित बैठक में लिए जाने वाले एजेंडे में मामूली बदलाव किया गया है।
भवन निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, प्रत्येक सोमवार को होने वाली बैठक में मुख्य सचिव सबसे पहले योजना व्यय की प्रगति रिपोर्ट लेंगे और इसकी समीक्षा करेंगे। इसके बाद केंद्रांश के रूप में मिलने वाले धन, राजस्व संग्रह की समीक्षा होगी। तीसरे पायदान पर सरकार ने नियुक्तियों को रखा है। मुख्य सचिव समीक्षा के दौरान विभागों से उनके यहां रिक्त पद और पदों को भरने के लिए होने वाली कवायद की जानकारी लेंगे और आवश्यक दिशा निर्देश जारी करेंगे।
विभाग के सूत्रों ने बताया कि इसी प्रकार वे इंटरनेट मीडिया प्रबंधन, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च लंबित में मामलों के साथ ही प्रति शपथ पत्र कारण पृच्छा की समीक्षा करेंगे। इसी कड़ी में 2024-25 में मंत्रिमंडल की स्वीकृति के लिए लंबित योजना-परियोजना समेत अन्य बिंदुओं पर समीक्षा करेंगे। सरकार ने अपने निर्णय से सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव के साथ ही अन्य को अवगत करा दिया है।
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पटना और दिल्ली के बीच चलेगी नई स्पेशल ट्रेन, कोलकाता वालों के लिए भी खुशखबरी; जान लें रूट-टाइमिंग
जागरण टीम, पटना/जमुई/दरभंगा। त्योहारों के अवसर पर यात्रियों के सुविधाजनक आवागमन के लिए कई पूजा स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है। इसी कड़ी में छठ पर्व बाद नई दिल्ली जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए एक जोड़ी अतिरिक्त पूजा स्पेशल ट्रेन का परिचालन किया जाएगा।
गाड़ी संख्या 03329 पटना-नई दिल्ली (Patna New Delhi Special Train) पूजा स्पेशल नौ नवंबर एवं 11 नवंबर को पटना से 14.05 बजे चलकर दानापुर, आरा, बक्सर, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन के रास्ते अगले दिन 08.00 बजे नई दिल्ली पहुंचेगी।
इसी तरह वापसी में गाड़ी संख्या 03330 नई दिल्ली-पटना (New Delhi Patna Special Train) पूजा स्पेशल दस नवंबर एवं 12 नवंबर को नई दिल्ली से 09.30 बजे चलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन, बक्सर, आरा, दानापुर के रास्ते अगले दिन 02.20 बजे पटना पहुंचेगी।
कोलकाता और दिल्ली के बीच पूजा फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन चलेगी04074 दिल्ली-कोलकाता पूजा स्पेशल (Delhi Kolkata Train) 07 नवंबर को दिल्ली से रात्रि 11:55 बजे रवाना होकर तीसरे दिन सुबह 03:30 बजे कोलकाता पहुंचेगी और 04073 कोलकाता-दिल्ली पूजा स्पेशल 09 नवंबर को कोलकाता से सुबह 07:40 बजे रवाना होकर अगले दिन 11:20 बजे दिल्ली पहुंचेगी।
ट्रेन मार्ग में कानपुर सेंट्रल, प्रयागराज, मिर्जापुर, पं. दीन दयाल उपाध्याय, बक्सर, आरा, पटना, किऊल, झाझा, जसीडीह, मधुपुर, आसनसोल, दुर्गापुर और बर्द्धमान स्टेशनों पर दोनों दिशाओं में रुकेंगी। ट्रेन में सामान्य द्वितीय श्रेणी और वातानुकूलित श्रेणी के डिब्बे होंगे। इस आशय की जानकारी आसनसोल पीआरओ ने विज्ञप्ति जारी कर बुधवार को दी।
छठ बाद वापसी में नहीं होगी दिक्कत, चलेगी स्पेशल ट्रेनें: जीएमछठ के बाद यात्रियों को वापसी में परेशानी नहीं होगी। रेलवे ने इसको लेकर विशेष व्यवस्था की है। आठ से 22 नवंबर के बीच दूरगामी स्पेशल ट्रेनों का परिचालन होगा। उक्त बातें पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक छत्रसाल सिंह ने दरभंगा जंक्शन का निरीक्षण करते हुए कही। उन्होंने बताया कि छठ में जैसे परदेस से यात्रियों के बिहार आने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जाएगी। वैसा ही बंदोबस्त छठ पूजा समाप्ति के बाद उपलब्ध होगी।
उन्होंने यात्रियों से अनुरोध किया कि वापसी में जल्दबाजी ना करें। प्लान बनाकर यात्रा की तिथि निर्धारित करने के बाद रिजर्वेशन कराएं। इससे यात्रा में परेशानी नहीं होगी। जीएम ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए विशेष अभियान चल रहा है। अतिरिक्त पुलिस बल तैनात की गई है। साथ मेडिकल टीम भी तैनात है। जीएम ने दरभंगा जंक्शन परिसर में छठ पर्व पर यात्रियों के लिए उपलब्ध कराई गई सुविधाओं का भी जायजा लिया।
बुधवार शाम विशेष सैलून से अधिकारियों के काफिले के साथ पहुंचे जीएम दरभंगा जंक्शन पर करीब आधे घंटे तक रुके। इस दौरान जंक्शन की व्यवस्था चाक-चौबंद थी। परिसर में मौजूद रहनेवाली गंदगी गायब दिखी। साथ ही जगह-जगह चूना-ब्लिचिंग का छिड़काव किया गया था। आरपीएफ एवं जीआरपी के जवान चौकस दिखे। विशेष सैलून से उतरते ही जीएम का स्वागत स्टेशन अधीक्षक मनोज कुमार ने किया। इसके बाद जीएम सीधे बाहरी परिसर में यात्री सुविधा के लिए बनाए गए होल्डिंग एरिया का जायजा लिया।
Ayushman Card: सरकारी से दोगुने आयुष्मान लाभार्थियों ने निजी अस्पतालों में कराया उपचार, जानें क्या है कारण?
जागरण संवाददाता, पटना। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत योजना), गरीब मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इसके लाभुकों की संख्या बढ़ा दी है। इस कारण बिहार में इस योजना का नाम प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना कर दिया गया। हालांकि, पटना जिले के आयुष्मान कार्डधारियों को सरकारी के बजाय निजी अस्पताल ज्यादा रास आ रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2018 से सितंबर माह तक जिले के दो लाख 30 हजार 317 आयुष्मान कार्डधारियों ने इलाज कराया। इनमें से 1 लाख 56 हजार 606 यानी 68 प्रतिशत आयुष्मान कार्डधारियों ने निजी अस्पतालों में इलाज कराया। इसके विपरीत 73 हजार 711 मरीजों ने ही एम्स पटना, आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच, एलएनजेपी, न्यू गार्डिनर, गुरु गाेविंद सिंह सदर अस्पताल, राजकीय आयुर्वेदिक कालेज, राजेंद्र नगर जैसे सरकारी अस्पतालों में उपचार कराया।
सरकारी अस्पतालों में होने वाली परेशानी से मरीज परेशान:एम्स पटना, आइजीआइएमएस, पीएमसीएच जैसे अस्पतालों ने रोगियों का विश्वास नहीं खोया पर वहां आयुष्मान लाभ लेने में होने वाली परेशानी उन्हें निजी अस्पतालों में जाने को विवश करती है। आइजीआइएमएस इमरजेंसी में भर्ती होना ही बड़ी बात है। सौभाग्य से बेड खाली हुआ तो आयुष्मान कार्ड पर भर्ती होना मुश्किल है। यहां कैश में मरीज भर्ती कराना पड़ता है। बाद में उसे कैश से डिस्चार्ज कर फिर आयुष्मान में कराना पड़ता है।
यही नहीं रोग को निर्धारित पैकेज राशि खत्म हाेने पर यदि पूरा इलाज कराना है तो फिर कैश में ट्रांसफर कराना पड़ता है। यही नहीं आयुष्मान से मिलने वाली राशि से कई गुना धन मरीज को प्रातिदिन खर्च करना पड़ता है। वहीं निजी अस्पतालों को जिन रोगों के इलाज की अनुमति प्राप्त है, उसके लिए मरीज को कोई अतिरिक्त राशि नहीं देनी पड़ती है।
सरकारी अस्पतालों के उत्थान के लक्ष्य में बाधा:आयुष्मान योजना 60 प्रतिशत केंद्रांश व 40 प्रतिशत राज्यांश से संचालित की जाती है। गरीबों को पांच लाख तक निशुल्क उपचार के साथ, रोगी के सरकारी अस्पताल में इलाज कराने पर निर्धारित राशि का 25 प्रतिशत अस्पताल की सुविधाएं बढ़ाने व 25 प्रतिशत इलाज करने वाले डाक्टर व टीम को देने का प्रविधान किया गया था। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में अधिकतर सेवाएं व दवाएं सभी के लिए पहले से ही निशुल्क हैं।
सरकारी क्षेत्र के सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल आइजीआइएमएस व एम्स पटना में सबसे अधिक गंभीर रोगियों का इलाज किया जा रहा है। मैं इन आंकड़ों की पुष्टि नहीं करता हूं। वैसे भी यह आयुष्मान कार्डधारी की इच्छा है कि वह सरकारी अस्पताल में अपना उपचार कराए या निजी में। - शशांक शेखर, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति
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Chhath Puja 2024: इमरजेंसी के लिए ये रहे हेल्पलाइन नंबर, छठ पर्व पर स्वास्थ्य विभाग एक्टिव; घाटों पर दी ये सुविधा
जागरण संवाददाता, पटना। लोकआस्था के महापर्व छठ अनुष्ठान के दौरान घाट पर किसी चिकित्सकीय आपात से निपटने के लिए नजदीकी सभी सरकारी-निजी अस्पतालों को सतर्क रहने को कहा गया है। आइजीआइएमएस, पीएमसीएच व एनएमसीएच जैसे अस्पतालों में इमरजेंसी में बेड भी आरक्षित किए गए हैं। लॉ कालेज समेत छह प्रमुख घाटों पर दो-दो बेड के अस्थायी अस्पताल बनाने के अलवा अन्य सभी घाटों पर बैनर लगाकर मेडिकल टीमें तैनात को गई है।
घाट पर तैनात सभी टीमों को ड्रेस कोड का पालन करना है और जीवनरक्षक दवाएं साथ रखनी हैं। गंभीर रोगियों को तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाने के लिए तीन से चार घाटों के बीच कुल 35 कुल 35 एंबुलेंस को ऑक्सीजन सिलेंडर, स्ट्रेचर व जीवनरक्षक दवाओं के साथ तैनात किया गया है।
यह व्यवस्था गुरुवार की सुबह 10 बजे से शाम को अर्घ्य की समाप्ति तथा गुरुवार की रात दो बजे से शुक्रवार को सुबह अर्घ्य की समाप्ति तक जारी होगी।
सिविल सर्जन डा. मिथिलेश्वर कुमार ने अति आवश्यक को छोड़कर शेष सभी डाक्टरों व चिकित्साकर्मियों के अवकाश रद्द कर दिए हैं। छठ में चिकित्सकीय आपात से निपटने के लिए जिला प्रशासन के निर्देशों के अनुसार आवश्यक व्यवस्था की गई है।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक डा. विवेक कुमार सिंह ने बताया कि पाटीपुल दीघा, गेट नंबर 93 दीघा घाट, कलेक्ट्रिएट घाट, पटना ला कालेज घाट, गायघाट व दीघा गोलंबर में बने नियंत्रण कक्ष पर अस्थायी अस्पताल बनाया गया है। एंबुलेंस के साथ इन दो बेड के अस्थायी अस्पतालों में दो बेड, ह्वील चेयर, स्ट्रेचर, आइवी स्टैंड, आकस्मिकता से निपटने की सभी जीवनरक्षक दवाएं, सामग्री व उपकरण, आक्सीजन समेत अस्पताल में इमरजेंसी से निपटने के लिए जो जरूरी सामान होते हैं, सभी उपलब्ध रहेंगे।
चिकित्सकीय आपात की स्थिति में इन नंबरों पर करें संपर्क पीएमसीएच कंट्रोल रूम 0612-2300080 पीएमसीएच अधीक्षक 9470003549 सिविल सर्जन 9470003600 न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल 9470003587 पटना एम्स अस्पताल 9470702184, 06122451070 आइजीआइएमएस 9473191807, 06122297099 पीएमसीएच प्रिंसिपल 9470003552 राजवंशी नगर एलएनजेपी अस्पताल 9431022000 डॉयल 102 न मिले तो इस नंबर पर कॉल करके लें मददचिकित्सकीय आपात की पहली जरूरत एंबुलेंस के टोल फ्री नंबर डॉयल 102 की सेवा अभी सुचारू रूप से कार्य नहीं कर रही है। एयरटेल से तो यह नंबर डायल ही नहीं हो रहा जबकि जियो-बीएसएनएल व बेसिक फोन से सेवा केंद्र के सभी पदाधिकारियों के व्यस्त होने का कॉल कट होने की समस्या आ रही है।
राज्यस्तरीय पदाधिकारी ने डॉयल 102 से एंबुलेंस सेवा नहीं मिलने पर सिविल सर्जन को 9470003600 पर फोन करने को कहा है। जिला प्रशासन ने सिविल सर्जन को 109 घाटों पर 106 एंबुलेंस व 284 मेडिकल टीमें तैनात करने का निर्देश दिया है।
सिविल सर्जन डॉ. मिथिलेश्वर कुमार ने एंबुलेंस सेवा सुचारू नहीं होने की बाबत कुछ भी नहीं कहा। कर्मचारियों के अनुसार जिले में एडवांस, बेसिक व शव वाहन समेत करीब 126 एंबुलेंस सेवा दे रही थीं। नई एजेंसी के कार्य संभालने के बाद जिले में 14 शव वाहन के साथ केवल 76 वाहन शेष हैं।
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Sharda Sinha Last Rite Live: पटना के गुलाबी घाट पर होगा शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार, तैयारियां हुईं पूरी
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का 72 साल की उम्र में मंगलवार की रात नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। शारदा सिन्हा के पार्थिव शरीर को राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास पर बुधवार को लाया गया। पार्थिव शरीर आने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मंत्री विजय कुमार सिन्हा, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, डा. सीपी ठाकुर समेत प्रदेश के कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। गुरुवार की सुबह पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार राजधानी के गुलाबी घाट पर होगा। यहां पढें शारदा सिन्हा से जुड़े ताजा अपडेट...
पीएम मोदी सहित कई दिग्गजों ने जताया शोकशारदा सिन्हा के निधन पर देश के प्रधानमंत्री से लेकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव , उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा , सम्राट चौधरी समेत बालीवुड हस्तियों ने इंटरनेट मीडिया पर शोक जताया है।
सीएम ने बंधाया ढांढसप्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा के परिवार से मिल कर उनका ढांढस बंधाया। श्रद्धा सुमन अर्पित करने आए पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि शारदा सिन्हा से लंबे समय से मधुर संबंध रहा।
पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि शारदा सिन्हा वेदना में भी छठ के गीत गाती रही हैं। दिल्ली में इलाज के दौरान भी उनसे मिलने का अवसर मिला। वे उस दौरान भी छठ के गीत गाती रहीं। शारदा सिन्हा ने आखिरी गीत छठ से पूर्व बिहार वासियों के लिए कब हरब दुख छठी मैया.. गाया था।
अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि शारदा सिन्हा के निधन से लोक संस्कृति गाथा का एक अध्याय समाप्त हो गया। स्वर कोकिला के रूप में पद्म भूषण से अलंकृत ऐसी गायिका बिरले मिलेंगी। वे करोड़ों लोगों के दिलों में हमेशा बसी रहेंगी। जब तक धरती पर सूर्य को अर्घ्य पड़ता रहेगा तब तक एक अर्घ्य उनके नाम से भी पड़ेगा।
अश्विनी चौबे ने कहा कि दो वर्ष पूर्व इनके घर पर आना हुआ था। घंटों बातें हुई थीं। इस दौरान उन्होंने छठ के अलावा कई लोक गीत को भी गाकर सभी को आनंदित किया था।
वे कहती थीं की बचपन के दिनों में माता-पिता के साथ बक्सर में रहती थी। उस दौरान छठ के मौके पर बक्सर के राम रेखा घाट पर छठ को देखने और गीत सुनने के बाद छठ गीतों के प्रति आकर्षण बढ़ा।
दो वर्ष पूर्व बक्सर में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में शारदा सिन्हा ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोहा लिया। कार्यक्रम समापन के बाद उन्होंने रोते हुए कहा था कि शायद यहां के लोगों के लिए आखिरी कार्यक्रम होगा।
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Chhath Puja 2024: आज छठ महापर्व का तीसरा दिन, व्रती डूबते सूर्य को देंगे अर्घ्य
जागरण संवाददाता, पटना। लोक आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन बुधवार को व्रतियों ने गंगा के पावन तट पर श्रद्धा एवं आस्था के साथ स्नान एवं खरना किया। काफी संख्या में व्रतियों ने अपने घरों में भी खरना किया। वहीं गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को छठव्रती पहला अर्घ्य प्रदान करेंगे। इसके बाद शुक्रवार को उगते हुए सूर्य को छठ का दूसरा अर्ध्य दिया जाएगा। इसके साथ ही चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व समाप्त हो जाएगा।
गंगा घाट में छठ पर्व की तैयारियांछठ महापर्व को लेकर राजधानी के गंगा घाट सहित तालाबों के किनारे भव्य तैयारी की गई है। छठव्रतियों ने दिनभर उपवास करने के बाद शाम को गंगा के पावन तट पर स्नान किया। गंगा किनारे व्रतियों के आने का सिलसिला दोपहर बाद से ही शुरू हो गया। नदी किनारे आने वाले अधिकांश लोग अपने-अपने वाहन से पहुंच रहे थे। इसके अलावा घाट पर बसे मोहल्ले के लोग पैदल की नदी की धारा तक पहुंच रहे थे।
पैदल गंगा घाट पहुंची महिलाएंदीघा, कुर्जी, राजापुर, दुजरा, मंदिरी एवं गोलघर से काफी संख्या में महिला व्रती पैदल ही गंगा घाट पहुंची। पैदल जाने वाली महिलाएं छठी माई की गीत गाते हुए गंगा किनारे पहुंच रही थीं। नदी किनारे पहुंचने पर सबसे पहले व्रतियों ने आम की दातून से मुंह धोआ। उसके बाद नदी की धारा में स्नान करने का सिलसिला शुरू हुआ। हर-हर गंगे, हर-हर महादेव एवं जय छठी मईया की जय-जयकार के साथ नदी की धारा में व्रतियों ने डुबकी लगाई। जय छठी माईया की जय-जयकार से शाम को पूरा नदी तट गूंज उठा। पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
सूर्य भगवान को जल अर्पित कर बनाया खरनास्नान के बाद व्रतियों ने भगवान भास्कर को जल अर्पित किया। उसके बाद कई व्रतियों ने नदी के घाट पर ही खरना का प्रसाद बनाकर ग्रहण किया। वहीं काफी संख्या में व्रतियों ने स्नान के बाद अपने घरों में गंगा का पानी लेते गए, जिससे खरना का प्रसाद बनाया गया। आज यानी गुरुवार को छठ महापर्व को पहला अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। इसके लिए घरों में तैयारी पूरी कर ली गई है। आज दिनभर उपवास के बाद शाम को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्ध्य प्रदान किया जाएगा। छठ महापर्व के आखिरी दिन शुक्रवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। उसके बाद चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व का समापन होगा।
छठ महापर्व के तीसरे दिन सूर्यास्त का समय- शाम 05 बजकर 32 मिनट पर
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जागरण संवाददाता, पटना। आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है, आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पर्व के तीसरे दिन मौसम शुष्क बना रहेगा। सुबह के समय कोहरा छाया रहेगा। गुरुवार को पटना का न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस के करीब दर्ज किया जाएगा। 19.0 डिग्री सेल्सियस के साथ किशनगंज, डेहरी, मोतिहारी व बांका में सर्वाधिक न्यूनतम तापमान वाले इलाके रहेंगे।
ठंड बढ़ने की संभावना नहीं
राजधानी समेत 13 जिलों में कोहरे का प्रभाव रहेगा। शेष जिलों में धुंध का प्रभाव रहेगा। बीते वर्ष की तुलना में इस बार तापमान में वृद्धि होने से ठंड का विशेष प्रभाव नहीं पडे़गा। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार उत्तर पूर्वी हवा का प्रवाह बने होने के कारण पटना सहित अधिसंख्य भागों में सुबह व शाम के समय धुंध का प्रभाव बना रहेगा।
उत्तरी भागों के तराई वाले इलाकों में मध्यम दर्जे का कोहरा छाए रहने की संभावना है। प्रदेश के 13 जिलों में सुबह के समय कोहरे का प्रभाव बना रहेगा। प्रदेश के पूर्णिया, पूर्वी व पश्विमी चंपारण, सारण, दरभंगा, सुपौल, अररिया, शिवहर, वैशाली, सीतामढ़ी, किशनगंज, सिवान, लखीसराय में हल्के कोहरे की संभावना है। प्रदेश का अधिकतम तापमान 29-31 डिग्री सेल्सियस के बीच जबकि न्यूनतम तापमान 20-22 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहेगा।
दो से तीन दिनों के दौरान राज्य के रात्रि तापमान में कोई विशेष परिवर्तन की संभावना नहीं है। बुधवार को डेहरी, गया, जीरादेई, सुपौल, मधेपुरा, अररिया व किशनगंज को छोड़ कर पटना सहित शेष जिलों के न्यूनतम तापमान में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई। पटना का न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस जबकि 19.0 डिग्री सेल्सियस के साथ किशनगंज, डेहरी, मोतिहारी एवं बांका में सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।
मंगलवार को पटना सहित आसपास इलाकों में सुबह के समय हल्के धुंध का प्रभाव बन रहा। दिन में धूप निकलने से मौसम सामान्य रहा। पटना का अधिकतम तापमान 31.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
राज्य के प्रमुख शहरों का तापमानपटना- अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस
गया- अधिकतम तापमान 30.4 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस
भागलपुर- अधिकतम तापमान 30.7 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.3 डिग्री सेल्सियस
मुजफ्फरपुर- अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस
शहर की आबोहवा में घुल रहा जहरधूल व धुएं के कारण जिले में फिर से AQI लेवल बढ़ने लगा है। बरसात के दौरान वातावरण पूरी तरह से स्वच्छ हो चुका था। नतीजतन एयर क्वालिटी इंडेक्स 40 से 50 के आसपास आ गया था। अक्टूबर तक यह कंट्रोल में थी। इधर बरसात बीतने, ठंड के दस्तक व सड़कों पर ट्रैफिक लोड बढ़ने के साथ ही हवा में प्रदूषण घुलने लगा है। ऐसी स्थिति में अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है।
140 के पार पहुंचा AQI
जानकारों की मानें तो एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर बढ़कर 140 के स्तर को पार कर गया है। अगर समय रहते नहीं चेते तो वातावरण में प्रदूषण और बढ़ सकता है। इसका कारण बरसात बीतने के बाद धूप खिलना तथा धरती से नमी कम होने के कारण सड़कों पर धूल उड़ना है।
सड़कों की धूल की वजह से बढ़ रहा AQI
बेतरतीब विकास के लिए खोदी गई सड़कों से उड़ती धूल और वाहनों से निकलने वाला धुआं शहर की आबोहवा को खराब करने का सबसे बड़ा कारण है। धूल और वाहनों से निकलने वाले धुएं की वजह से शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार खराब चल रहा है। शहर के बीचोबीच से गुजर रही एनएच 27 पर एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण पर लगातार काम होने के कारण इस इलाके की एयर क्वालिटी सबसे अधिक खराब है।
इसके अलावा धुआं, पराली जलाने, आग, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जित कार्बनिक तत्व, टूटी सड़कों से उड़ने वाली धूल से जिले की आबोहवा खराब हो रही है।
टूटी सड़कों से उडने वाली धूल तथा वाहनों से उत्सर्जित कार्बन की वजह से वातावरण दूषित होता है। इसके अलावा अन्य कई छोटे तत्व रहते हैं, जिनकी वजह से एक्यूआइ बढ़ जाता है। जिले में दीपावली पर शहर का एक्यूआइ 200 के करीब पहुंच गया था, लेकिन अगले कुछ दिनों में इसमें कमी आई है। वर्तमान समय में यह 140 के आसपास बना हुआ है।
पर्यावरण के जानकार कहते हैं कि वातावरण में कई तरह के हानिकारक कण होते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं। सबसे ज्यादा खतरनाक कण 2.5 एमएम पार्टीकुलेट मैटर होता है, जो एक बार हवा में पहुंच जाता है तो फिर खुद जमीन पर नहीं आता है। इससे स्मोग के साथ ही धुंध छाए रहने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा 10 एमएम पार्टीकुलेट एवं अन्य तत्व मिलकर हवा की सेहत खराब करते हैं।
बढ़ते प्रदूषण से दिल की बीमारी का खतराडॉ. मदन मोहन, पर्यावरणविद कहते हैं कि धूल और धुएं से दिल को सबसे अधिक खतरा रहता है। धूल व धुए के कारण आंख, नाक, कान से धूल शरीर में भर जाता है। कई दिनों तक आंखों में नमी कम हो जाती है और सांस भारी सी लगती है। नींद का चक्र पूरा नहीं होता जिससे दिल के लिए खतरा बढ़ जाता है।
बढ़ता AQI लोगों के लिए खतरनाकAQI 0 से 50- बहुत अच्छा
AQI 51 से 100- सहनशील
AQI 101 से 150- बीमार लोगों के लिए खराब
AQI 151 से 200- सभी लोगों के लिए खराब
AQI 201 से 300- बेहद खराब
AQI 301 से 400- खतरनाक स्तर
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Gramin Bank IPO: बिहार में ग्रामीण बैंकों का होगा विलय, अपने शेयर को खुले बाजार में बेचेगी केंद्र सरकार
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। ग्रामीण बैंकों के विलय का एक बड़ा उद्देश्य आईपीओ जारी करना है। राशि जुटाने के लिए इन बैंकों मेंं केंद्र सरकार के शेयर की खुले बाजार में आईपीओ के जरिये बिक्री होगी। बिहार के दोनों ग्रामीण बैंकों (उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक) का विलय हो जाने के बाद आईपीओ आएगा। प्राप्त होने वाली राशि से नव-गठित ग्रामीण बैंक का कायाकल्प होगा।
वर्ष 1975 में ग्रामीण बैंक की स्थापना हुई थी और 2005 तक इनकी संख्या 196 थी। उनमें से अधिसंख्य घाटे में थे। समाधान सुझाने के लिए केंद्र सरकार ने व्यास समिति का गठन किया था। समिति के सुझाव पर तीन चरणों में ग्रामीण बैंकों का आपस में विलय हुआ। उसके बावजूद इनकी संख्या 43 रह गई है।
अब इन बैंकों के विलय के लिए राज्य सरकार और प्रायोजक व्यावसायिक बैंकों से वित्त मंत्रालय ने 15 नवंबर तक सहमति मांगी है। चौथे चरण के अंतर्गत विलय के बाद ग्रामीण बैंकों की संख्या मात्र 28 रह जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रारंभ में देश में 196 तथा बिहार में 22 ग्रामीण बैंक कार्यरत थे।
ग्रामीण बैंकों की सेहत में सुधार के लिए शेयर धारकों द्वारा समय-समय पर पूंजी दी जाती रही है। हालांकि, 2015 में केंद्र सरकार ने आगे पूंजी देने के बजाय ग्रामीण बैंकों को बाजार से पूंजी जुटाने का निर्देश दिया। इसके लिए ग्रामीण बैंक कानून-1976 में संशोधन कर केंद्र सरकार ने अपने 50 प्रतिशत में से 34 प्रतिशत शेयर आईपीओ के माध्यम से बेचने का प्रविधान किया।
हालांकि, छोटा आधार होने के कारण कोई भी ग्रामीण बैंक आईपीओ जारी नहीं कर सका। फलस्वरूप, ग्रामीण बैंक विलय प्रक्रिया के चौथे चरण में एक राज्य-एक ग्रामीण बैंक की परिकल्पना के तहत विलय की पहल चल रही है। इसके अंतर्गत बिहार के दोनों ग्रामीण बैंकों का विलय होना है। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण बैंकों में केंद्र सरकार 50 प्रतिशत, प्रायोजक बैंक 35 प्रतिशत और संबंधित राज्य सरकार 15 प्रतिशत अंशधारक होती है।
प्रायोजक बैंक में विलय भी एक विकल्प:बैंकिंग व्यवसाय से जुड़े कई विशेषज्ञों का तर्क है कि एक-दूसरे में विलय कर देने मात्र से ग्रामीण बैंकों की समस्या दूर नहीं हो जानी है। इससे उनका नेटवर्क बड़ा हो जाएगा और उनकी पूंजी बड़ी हो जाएगी, लेकिन सम्मिलित रूप में देनदारी और घाटे का बोझ भी बढ़ेगा। ऐसे में ग्रामीण बैंकों का उनके प्रायोजक व्यावसायिक बैंक में विलय बेहतर विकल्प हो सकता है। उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक का प्रायोजक सेंट्रल बैंक है और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का पंजाब नेशनल बैंक।
ग्रामीण बैंक और प्रायोजक बैंक की कार्यप्रणाली में अब कोई अंतर नहीं रह गया है। व्यावसायिक बैंक ग्रामीण साख में भी बहुमूल्य योगदान कर रहे हैं। ग्रामीण बैंक आपस में विलय के बाद भी ग्रामीण साख की आवश्यकता को पूरा नहीं कर पाते। इसलिए ग्रामीण बैंक का उनके प्रायोजक बैंक में विलय मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर विकल्प है। - डीएन त्रिवेदी, राष्ट्रीय संयोजक, यूनाइटेड फोरम ऑफ ग्रामीण बैंक यूनियन्स
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राज्य ब्यूरो, पटना। चाल, चरित्र और चेहरा का हवाला देते हुए जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने बुधवार को राजद (RJD) पर करारा कटाक्ष किया। राजद के सक्रिय सदस्यों का डाटा जसुपा के हाथ लगने की बात पर उन्होंने प्रश्नवाचक अंदाज में पूछा कि राजद कब से डाटा वाली पार्टी बन गई, वह तो लालटेन वाली पार्टी है।
पीके ने आगे कहा, यह सब पढ़ाई-लिखाई, डाटा क्या होता है, इसे कैसे स्टोर किया जाता है, यह राजद को कैसे पता होगा! राजद का काम तो लालटेन, दंगा, फसाद, और अपहरण-अपराध को शह देने का है। पढ़ाई-लिखाई और डाटा से उसका क्या लेना-देना! तरारी विधानसभा क्षेत्र में जन संवाद के बाद पीके ने पत्रकारों के समक्ष भाजपा को भी लपेटे में लिया।
उन्होंने कहा कि चाल, चरित्र, चेहरा, परिवारवाद और भाई-भतीजावाद की बात करने वाली पार्टी तरारी में पूरी तरह बेनकाब हो गई है। तरारी में भाजपा के प्रत्याशी ने उसके (भाजपा के) असली चेहरे को उजागर कर दिया है। इससे भाजपा की कथनी और करनी में अंतर की जानकारी सबको हो गई है।
विधानसभा चुनाव से पहले राजद में मचेगी भगदड़: प्रभाकरभाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर कुमार मिश्र का कहना है कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले ऐसी भगदड़ मचेगी कि राजद का नाम-ओ-निशान मिट जाएगा। मंगलवार को बयान जारी कर उन्होंंने कहा कि राजद में पहले ही कई दरारें आ चुकी हैं, अब सिर्फ टूटकर बिखरना बाकी है। 2025 के विधानसभा चुनाव में राजद की अब तक की सबसे बड़ी हार होने वाली है।
'नेताओं का लालू-तेजस्वी से मोहभंग'खबरें आ रही हैं कि तेजस्वी के आईटी सेल से राजद के चार लाख से अधिक सक्रिय कार्यकर्ताओं का डाटा गायब हो गया है। दरअसल, राजद के नेताओं-कार्यकर्ताओं का लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव से मोहभंग हो चुका है। वे समझ चुके हैं कि राजद में उनका भविष्य नहीं। इसलिए वे विकल्प तलाश रहे हैं। जल्द ही वे दूसरे दलों का दामन थाम लेंगे।
नौकरी देने का झूठा श्रेय ले रहे हैं तेजस्वी: संतोषहम के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्य सरकार में मंत्री डॉ. संतोष कुमार सुमन ने बीते दिनों कहा कि तेजस्वी यादव नौकरी देने का झूठा श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को अपने माता-पिता के 15 साल के राज की 101 आपराधिक घटनाओं, 101 अपहरण कांडों, शिल्पी जैन और चम्पा विश्वास बलात्कार कांड जैसी शर्मनाक घटनाओं के साथ-साथ दलित विरोधी नरसंहारों की भी सूची जारी करनी चाहिए। जिनके परिवार में दो पूर्व मुख्यमंत्री सहित छह लोग रेलवे की नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में अभियुक्त हैं और जमानत पर हैं, वे किसी को नौकरी दिलाने का श्रेय कैसे लूट सकते हैं?
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर विभिन्न चरणों में लगभग पांच लाख शिक्षकों और अन्य सरकारी पदों पर जो नियुक्तियां हुईं , वह सरकार का फैसला था, किसी डिप्टी सीएम का नहीं।
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Patna Police Station Fire: पत्रकारनगर थाने में लगी आग, रेस्क्यू कर बचाए गए 50 पुलिसकर्मी
जागरण संवाददाता, पटना। हनुमान नगर स्थित पत्रकारनगर थाने में बुधवार की सुबह आग लग गई। शॉर्ट सर्किट से ग्राउंड फ्लोर मालखाना में लगी आग की लपटे चंद मिनट में उपरी मंजिल तक पहुंच गई। पांचवीं मंजिल तक धुआं फैलने से थाने में 50 से अधिक पुलिसकर्मी अंदर ही फंस गए। इधर, घटना की सूचना मिलने ही कंकड़बाग, सचिवालय और लोदीपुर फायर स्टेशन से दमकल की 25 गाड़ियां, एक हाइड्रोलिक प्लेटफार्म के साथ 75 दमकलकर्मी और पदाधिकारी पहुंच गए।
छत पर फंसे एक पुलिसकर्मी को हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म और पांच पुलिसकर्मियों को सीढ़ी से रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाला गया, जबकि गेट और दरवाजा तोड़कर धुआं से घिरे 45 पुलिसकर्मियों को बाहर निकाला गया। आग से जब्त दर्जनों बाइक, कई छोटे सिलेंडर और अन्य वाहनों के साथ जरूरी कागजात जलकर राख हो गए।
अग्निशमन पदाधिकारी मनोज कुमार नट ने बताया कि प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। सभी पुलिसकर्मियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। ढाई घंटे में आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया था। नुकसान का आकलन नहीं हो पाया है। सदर एसडीपीओ-1 अभिनव ने बताया कि थाना के पीछे मालखाने के सामान में आग लगी थी। दमकलकर्मियों और पुलिस की मदद से अंदर फंसे सभी पुलिसकर्मियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। किसी पुलिसकर्मी या अन्य व्यक्ति के घायल होने की सूचना नहीं है।
धुआं भरने से अंदर फंस गए थे पुलिसकर्मीघटना सुबह करीब दस बजे की है। पांच फ्लोर के इस थाने में गेट और पीछे के हिस्से में जब्त वाहनों को रखा गया है। थाना में बैरक और आवास भी है। घटना के समय थाने में पुलिस पदाधिकारी सहित 50 से अधिक जवान मौजूद थे। कोई खाना बना रहा था तो कोई तैयार हो रहा था। अचानक मालखाना में आग लग गई और लपटे उपर उठने पर पुलिसकर्मियों को इसकी जानकारी हुई।
ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल पर मौजूद पुलिसकर्मी किसी तरह भागकर बाहर आए और अपने अन्य साथियों के बचाव में जुट गए। तब तक आग की लपटें उपर उठने लगी और पांचवीं मंजिल तक धुआं भर गया। इस वजह से दूसरे से लेकर पांचवें फ्लोर पर रहने वाले पुलिसकर्मी बिल्डिंग में ही फंस गए।
जो जिस हाल में था, भागकर आने लगा बाहरआग की लपटे उठता देख आसपास के लोग जुट गए। थाना परिसर में अफरातफरी मची थी। कुछ पुलिसकर्मी आग बुझाने का प्रयास कर रहे थे तो आसपास के थाना से पहुंची पुलिस अंदर फंस पुलिसकर्मियों को बचाने में जुट गए। इस बीच छत पर एक जवान मदद की गुहार लगा रहा था।
इधर, वायरलेस पर थाने में आग की सूचना पर हाइड्रोलिक प्लेटफार्म और दमकल की गाड़ियां पहुंचने लगी। छत और सीढ़ी के रास्ते पुलिसकर्मियों को बाहर निकाला गया। धुआं भरने से कई पुलिसकर्मी राइफल और मैग्जीन तक बाहर नहीं निकाल पा रहे थे।
By-Election In Bihar: कहीं बेटा तो कहीं बहू... उपचुनाव में परिवारवाद बन गया मुद्दा, बराबरी पर NDA और महागठबंधन
राज्य ब्यूरो, पटना। विधानसभा की चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव में परिवारवाद पर राजनीतिक दलों की हाेशियारी जनता की पकड़ में आ गई है। परिवारवाद को बढ़ावा देने में एनडीए और महागठबंधन बराबरी पर हैं, इसलिए चुनाव प्रचार में जुटे दोनों गठबंधनों के नेता परिवारवाद पर बिना कुछ बोले हुए निकल जा रहे हैं। पिता के बाद पुत्र, बहू या पत्नी की उम्मीदवारी से दोनों गठबंधन के कार्यकर्ताओं में विक्षोभ है, प्रतिद्वंद्वी जिसे उभारने का प्रयास कर रहे हैं।
बेलागंज में 1990 से 2024 तक एक छोटी अवधि (1998-2000) को छोड़ कर राजद के सुरेंद्र यादव जनता दल और राजद के विधायक रहे। इस साल उनके सांसद बनने के बाद पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह राजद के उम्मीदवार हैं। राजद में टिकट के दावेदारों के बीच यह प्रश्न है कि इसबार विश्वनाथ चुनाव जीतते हैं तो अगले कई वर्षों तक किसी नए को अवसर नहीं मिलेगा।
राजद कार्यकर्ताओं के संशय को जदयू नेता और ग्रामीण कार्य मंत्री डॉ. अशोक चौधरी यह कह कर बल देते हैं कि जदयू को उपचुनाव में एक अवसर दीजिए। काम नहीं हुआ तो आम चुनाव में आप अलग निर्णय ले सकते हैं। हालांकि, बेलागंज में जदयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी भी परिवारवाद का ही प्रतिनिधित्व करती हैं।
मनोरमा स्वयं विधान परिषद की सदस्य रह चुकी हैं। जदयू के दावेदार भी इस आशंका से मुक्त नहीं हैं कि अगर मनोरमा चुनाव जीतती हैं तो क्षेत्र एक बार फिर परिवारवाद की भेट चढ़ जाएगा।
रामगढ़ की भी वही गतिरामगढ़ में राजद के जगदानंद सिंह के पुत्र अजित सिंह उम्मीदवार हैं। जगदानंद सिंह 2009 में सांसद बने तो उन्होंने राजद के एक कार्यकर्ता अंबिका यादव को अवसर दिया। अंबिका चुनाव जीते। 2015 में हारे तो 2020 के विस चुनाव में उन्हें अवसर नहीं मिला। जगदानंद के बड़े पुत्र सुधाकर सिंह विधायक बने। अब वह सांसद हैं, उप चुनाव हो रहा है तो इसमें उनके छोटे भाई अजित सिंह को उम्मीदवार बनाया गया।
सबसे बड़ा परिवारइमामगंज में जीतनराम मांझी की दो बार जीत हुई। वह गया के सांसद हैं। उनकी बहू दीपा मांझी उप चुनाव में हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा की उम्मीदवार हैं। लोकसभा, विधान परिषद और विधानसभा में इस समय मोर्चा के पांच सदस्य हैं। मांझी सांसद हैं। पुत्र संतोष सुमन विधान पार्षद हैं। समधन ज्योति देवी विधायक हैं। दीपा मांझी चुनाव जीतती हैं तो संसद-विधानसभा में पार्टी के सदस्यों की संख्या छह हो जाएगी, जिनमें चार मांझी के परिवार के सदस्य और रिश्तेदार होंगे। ईमामगंज में भी मांझी को कार्यकर्ताओं की महात्वाकांक्षा से जूझना पड़ रहा है।
पति-पत्नी के बाद पुत्रतरारी और पूर्ववर्ती पीरो विस क्षेत्र में 2000 से 2020 तक छह चुनाव हुए। चार बार नरेंद्र कुमार पांडेय ऊर्फ सुनील पांडेय चुनाव जीते। एक बार दूसरे नम्बर पर रहे। एक बार उनकी पत्नी गीता पांडेय दूसरे नम्बर पर रहीं। अभी उनके पुत्र विशाल प्रशांत भाजपा उम्मीदवार हैं। भाजपा ही नहीं, जदयू के कार्यकर्ता भी विशाल की जीत में अपना बंद भविष्य देख रहे हैं। एनडीए में यह सीट जदयू की रही है।सुनील पांडेय एक बार समता पार्टी और तीन बार जदयू के विधायक रहे हैं।
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विश्वविद्यालयों के लिए बड़ी खबर, विकास की राशि खर्च नहीं करने पर होगी बजट में कटौती
जागरण संवाददाता, पटना/ भभुआ। राज्य के विश्वविद्यालयों में विकास मद में दी गई राशि को खर्च करने की गति धीमी है। इसीलिए सरकार द्वारा विभिन्न मदों में उपलब्ध कराए गए 3487 करोड़ रुपये के खर्च का ब्योरा देने में विश्वविद्यालय हिचक रहे हैं। शिक्षा विभाग ने कुलसचिवों को आगाह किया है कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर विकास मद की राशि सरेंडर करने वाले विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई होगी।
साथ ही विकास मद की राशि खर्च नहीं करने वाले विश्वविद्यालयों के अगले वित्तीय वर्ष में उनके बजट में भी कटौती होगी। 15 विश्वविद्यालयों में आधारभूत संरचना के विकास के लिए उपलब्ध कराई गई राशि को खर्च करने का रिकार्ड ठीक नहीं है। यह राशि यूजीसी और बिहार सरकार से मिली है। शिक्षा विभाग मान रहा कि विश्वविद्यालयों में बेहतर वित्तीय प्रबंधन की कमी के कारण राशि खर्च नहीं हो रही।
शिक्षा विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1250 करोड़ रुपये सरेंडर किए जाने पर कुलसचिवों को फटकार भी लगाई थी। इस वर्ष भी विकास मद में आवंटित राशि 4356 करोड़ रुपये खर्च में सुस्ती है। शिक्षा विभाग के मुताबिक वर्ष 2016-17 में विश्वविद्यालयों में विभिन्न योजनाओं में खर्च की रफ्तार ठीक थी तब विश्वविद्यालयों द्वारा सबसे कम 89 करोड़ रुपये राशि का सरेंडर किया था।
चालू वित्तीय वर्ष में पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय और तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को छोड़कर शेष विश्वविद्यालयों में विकास मद की राशि खर्च करने की गति धीमी है। इतना ही नहीं, विश्वविद्यालयों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में आवंटित राशि 3812.20 करोड़ खर्च का भी हिसाब नहीं दिया है।
साल 2016-17 से 2023 तक कुल आवंटित बजट साल कुल बजट खर्च सरेंडर 2016-17 2031 2120 89 2017-18 2998.73 2852.15 146.57 2018-19 4497.13 3495.63 1001.50 2019-20 3671.82 3172.41 499.41 2020-21 3061.39 2657.67- 403.72 2021-22 3606.01 2363.38 1242.63 2022-23 3689.12 2439.12 1250 भभुआ: शिक्षिकाओं से प्रमाण पत्र को लेकर मांगा स्पष्टीकरणजिले में बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से शिक्षक के पद पर नियुक्ति पाने वाली शिक्षिकाओं के ईडब्लूएस प्रमाण पत्र में कुछ कमी पाई गई है। इस आधार पर कुल दस शिक्षिकाओं से जिला शिक्षा पदाधिकारी ने स्पष्टीकरण मांगा है।
इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी सुमन कुमार शर्मा ने बताया कि जिले के विद्यालयों में बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। आवेदन के समय ईडब्लूएस का प्रमाण पत्र अपलोड किया गया था। जिसके आधार पर विद्यालयों में शिक्षक पद पर नियुक्ति की गई।
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि सामान्य प्रशासन के दिशा-निर्देश में स्पष्ट अंकित है कि अविवाहित महिला की स्थिति में ईडब्लूएस का प्रमाण पत्र पिता के नाम से बनेगा और विवाहित की स्थिति में पति के नाम के स्थाई निवास से बनेगा।
जांच में पाया गाया कि विवाहित होते हुए नियम के विरुद्ध ई डब्लूएस प्रमाण पत्र पिता के नाम से बनवाया गया है। जिसके आधार नियुक्ति प्राप्त की गई है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि दस शिक्षिकाओं से स्पष्टीकरण मांगा गया है। उन्होंने कहा कि संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर सेवा समाप्त करने के साथ वेतन की राशि वसूली करने की कार्रवाई होगी।
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Bihar RERA: स्वीकृत प्रोजेक्ट का विस्तार करने पर बिल्डरों को देना होगा अतिरिक्त शुल्क, 2 लाख रुपये लगेगा सरचार्ज
राज्य ब्यूरो, पटना। अब बिहार रेरा से स्वीकृत नक्शे से इतर प्रोजेक्ट का विस्तार करने पर बिल्डरों को अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा। स्वीकृत परियोजना में यदि अतिरिक्त फ्लैट, दुकान, ऑफिस आदि का निर्माण किया जाता है, तो संख्या के अनुसार दो लाख रुपये से लेकर आठ लाख रुपये तक राशि जमा करनी होगी। इतना ही नहीं, परियोजना में फ्लैट बुक कराने वाले दो तिहाई आवंटियों की शपथ पत्र पर सहमति भी अनिवार्य होगी।
बिहार रेरा के आदेश के अनुसार, किसी परियोजना में अगर 20 की संख्या तक अतिरिक्त फ्लैट, दुकान या कार्यालय निर्माण पर अतिरिक्त दो लाख रुपये सरचार्ज लगेगा। इसी तरह, 21 से 40 तक अतिरिक्त फ्लैट, दुकान, कार्यालय, भूखंड के लिए चार लाख रुपये, 41 से 60 तक अतिरिक्त फ्लैट, दुकान, कार्यालय, भूखंड के लिए छह लाख रुपये और 60 से अधिक अतिरिक्त फ्लैट, दुकान, कार्यालय, भूखंड के लिए आठ लाख रुपये तक का सरचार्ज देना होगा।
बिल्डरों के लिए एक और निर्देशप्राधिकरण ने निर्णय लिया है कि ऐसे मामलों में बिल्डरों को बुकिंग कराने वाले सभी आवंटियों का नाम, ई-मेल आईडी, पता और संपर्क नंबर जमा कराना होगा।
परियोजना में फ्लैट बुक कराने वाले दो तिहाई आवंटियों की शपथ पत्र पर सहमति जरूरी होगी। प्रमोटर हलफनामा देंगे कि आवंटियों के नाम और संख्या सही है तथा किसी भी विसंगति के लिए उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। बिल्डर को संशोधित नक्शा, भवन निर्माण का अनुमति प्रमाण पत्र और नए नक्शे के अनुसार उपलब्ध दुकान, फ्लैट, भूखंड, कार्यालय का संशोधित सेल एग्रीमेंट भी जमा कराना होगा।
वित्त विभाग में बनेगा क्लाइमेट फाइनेंस सेलजलवायु परिवर्तन भविष्य में नाना प्रकार की चुनौतियों का कारण बनने वाला है। लक्षण अभी से दिखने लगे हैं। ऐसे में सरकार का प्रयास भविष्य मेंं होने वाले नुकसान को कम करने का है। उसके लिए वित्त विभाग में एक महत्वपूर्ण पहल हो रही है। वहां यथाशीघ्र क्लाइमेट फाइनेंस सेल की स्थापना होगी। उसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान से निपटने के लिए विभिन्न विभागों के बीच आवश्यक वित्तीय समन्वय स्थापित करना है। इस सेल का मुख्य कार्य जलवायु से संबंधित परियोजनाओं की पहचान और उसके लिए वित्त की व्यवस्था करना होगा।
इस सेल में सरकारी कर्मियों के साथ विशेषज्ञ एजेंसियों की भी सेवा ली जाएगी, ताकि वित्त उपलब्ध कराने में उनकी सहायता ली जा सके। उल्लेखनीय है कि बिहार पहला राज्य है, जहां हरित बजट प्रस्तुत किया जाता है। इससे भी क्लाइमेट फाइनेंस से संबंधित तंत्र विकसित करने में सहायता मिली है।
वर्ष-प्रति-वर्ष हरित बजट प्रविधान में वृद्धि की जा रही है। इस वित्तीय वर्ष में चिह्नित योजनाओं के लिए हरित बजट आवंटन काफी बढ़ा है। इस मद में आवंटन की तुलना में व्यय का अनुपात भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के 58 प्रतिशत की तुलना में 2021-22 में व्यय बढ़कर 88 प्रतिशत हो गया।
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'अगले जन्म में भी शारदा सिन्हा बनूं...', बिहार कोकिला की जिंदगी के अनकहे पन्ने; नम हो जाएंगी आपकी आंखें
कुमार रजत, पटना। 'बिहार कोकिला' शारदा सिन्हा से मैं बहुत बाद में मिला। पहले उनकी आवाज से मिला। याद भी नहीं कि पहली दफा उनकी आवाज कब सुनी थी। शायद छठ का ही महापर्व रहा होगा या कोई शादी-विवाह का अवसर। मगर जब से होश संभाला है, यह आवाज हमेशा से जानी-पहचानी लगी। जैसे अपने घर-आंगन की आवाज हो। जैसे मां की आवाज हो।
शारदा सिन्हा की बात सिन्हा साहब के बिना अधूरी है। सिन्हा साहब यानी उनके पति स्वर्गीय ब्रजकिशोर सिन्हा। वह उन्हें इसी नाम से पुकारती थीं। शारदा को बिहार कोकिला शारदा सिन्हा बनाने में सबसे बड़ा योगदान उनका ही रहा। वह खुद भी हर साक्षात्कार, हर मंच पर यह बात दुहराती रहीं। यह भी संयोग है कि पति के निधन के महज 45 दिन बाद ही उन्होंने भी देह त्याग दिया। जैसे ''हम आपके हैं कौन'' का अपना ही प्रसिद्ध गीत गाकर विदा ले रहीं हों- ''बाबुल जो तुमने सिखाया, जो तुमसे पाया...सजन घर ले चली... सजन घर मैं चली...। यादों के देकर साये, चली घर पराए... तुम्हारी लाडली।''
खुद नहीं किया छठ, कहतीं- गीत ही मेरा अर्घ्यशारदा सिन्हा ने जो गाया ताउम्र उसे जिया भी इसलिए उनका गाया सच्चा लगता है, दिल में उतर जाता है। यह भी अजीब संयोग हैं कि दुनिया भर में छठ के गीतों का पर्याय शारदा जी ने खुद कभी छठ नहीं किया। वह कहतीं कि ''छठ के गीत ही मेरा अर्घ्य है। मुझे इस बात का संतोष है कि मेरे गीत लोगों को छठ से जोड़ते हैं। मैं इसे ही अपनी जवाबदेही की तरह लेती हूं। मेरी इच्छा है कि जब तक संभव है, मैं छठ गीत गाकर अपनी जिम्मेदारी निभाऊं।'' और उन्होंने इसे निभाया भी। कैंसर की जंग लड़ते हुए दिल्ली एम्स से ही उन्होंने अपना अंतिम छठ गीत रिलीज किया- दुखवा मिटाई छठी मइया...।
अगले जन्म में भी शारदा सिन्हा बनूं:वर्ष 2016 में पटना में जागरण फिल्म फेस्टिवल के मंच पर उन्होंने अपने जीवन के कई संस्मरण साझा किए थे। उन्होंने कहा था कि जब मायके में पहली बार मंच पर गई तो गांव वालों ने इसे बिरादरी का अपमान बताया मगर पिता और घरवालों ने समर्थन किया। इसी तरह ससुराल में सास भी मंचीय कार्यक्रमों से नाखुश रहतीं मगर पति ने साथ दिया।
उन्होंने बताया था कि शादी के बाद एक व्यक्ति ने सिन्हा साहब से कहा- कैसे आदमी हो, जो अपनी पत्नी को नचाते-गवाते हो। इसके कुछ दिनों बाद ही जब जै-जै भैरवी असुर भयावनी गीत लोकप्रिय हुआ तो उसी व्यक्ति ने शारदा सिन्हा को देवी कहा। इसी साक्षात्कार में शारदा सिन्हा ने कहा था- अगला जन्म भी शारदा सिन्हा के रूप में लेना चाहती हूं।
छठ गीत सुनकर होती है सिहरन:शारदा सिन्हा ने अपने साक्षात्कार में बताया कि था छठ गीत सुनकर उन्हें भी सिहरन होती है। उन्होंने बताया था कि सोना सटकोनिया हो दीनानाथ... गीत उनका पसंदीदा छठ गीत है। वह कहतीं कि वह खुद विंध्यवासिनी देवी के गीत रेडियो पर सुनती थीं। उन्होंने अपनी गुरु पन्ना देवी को याद कहते हुए कहा था कि पन्ना जी मुझसे कहती थीं कि शारदा, तुम्हारी आवाज में बहुत कसक है। तुम गाओ तो वाह नहीं, आह निकलनी चाहिए।
पटना के घाट पर हमहूं अरगिया देहब हे छठि मइयां...शानदार साड़ी, माथे पर गोल लाल बिंदी, गले में लंबी माला और चेहरे पर मुस्कान। शारदा सिन्हा का ख्याल आते ही यह सारी चीजें याद आती हैं। उन्हें साड़ियों का बहुत शौक था। दिल्ली एम्स में अंतिम समय तक लाल बिंदी उनके माथे की शोभा बढ़ाती रही। अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर भी उन्होंने रियाज किया। इसका वीडियो भी शेयर किया था। वह खुद बेगम अख्तर और लता मंगेशकर के गीतों को पसंद करतीं।
कोविड के समय जब अस्पताल में रहीं तो लता जी का दर्द भरा गीत अपनी आवाज में रिकॉर्ड भी किया था- यूं हसरतों के दाग... मुहब्बत में धो लिए... यूं दिल से दिल की बात कहीं और रो लिए। शारदा सिन्हा अब नहीं रहीं। वह खनकती आवाज जो सिहरन पैदा करती थी... अब खामोश है मगर उन्होंने गीतों का जो खजाना दिया है... वह अनमोल है। पटना के घाट पर ही उनका अंतिम संस्कार होगा। फिर उनका ही छठ गीत याद आ रहा- पटना के घाट पर हमहूं अरगिया देहब हे छठि मइया... हम न जाइब दूसर घाट... देखब हे छठि मइया।
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छठ पर्व में यात्रियों को रेलवे का तोहफा, 8-22 नवंबर तक चलेंगी लंबी दूरी की 446 स्पेशल ट्रेनें
जागरण संवाददाता, पटना। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सतीश कुमार ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा छठ महापर्व को लेकर यात्री सुविधा एवं सुरक्षा सहित अन्य तैयारियों की समीक्षा की। समीक्षा बैठक में पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक छत्रसाल सिंह एवं प्रमुख विभागाध्यक्ष शामिल हुए।
446 स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगीसमीक्षा बैठक में अध्यक्ष ने बताया कि आठ नवंबर से 22 नवंबर तक इस वर्ष लंबी दूरी की 446 स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा। पिछले वर्ष इसी अवधि में 369 स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया गया था। आठ नवंबर को बरौनी, दरभंगा, दानापुर, गया, जयनगर, मुजफ्फरपुर, पटना, रक्सौल, सहरसा, समस्तीपुर एवं अन्य स्टेशनों से 35 स्पेशल ट्रेनें देश के विभिन्न महत्वपूर्ण स्टेशनों के लिए चलाई जाएंगी।
इसके अलावा पटना, दानापुर, राजेंद्र नगर टर्मिनल, सहरसा, मुजफ्फरपुर, दरभंगा सहित अन्य प्रमुख स्टेशनों पर यात्रियों के लिए होल्डिंग एरिया बनाया गया है। साथ ही ट्रेन के आवागमन की जानकारी सहज उपलब्ध हो सके इसके लिए स्टेशनों पर निरंतर उद्घोषणा की जा रही है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजामभीड़ नियंत्रण हेतु मुख्य स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे से रेल सुरक्षा बलों द्वारा चौबीसों घंटे गहन निगरानी की व्यवस्था की गई है। साथ ही रेल सुरक्षा बल की खुफिया इकाइयों को विभिन्न स्रोतों से हर संभव खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए विशेष रूप से सक्रिय कर दिया गया है।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए मेरी सहेली की तैनातीराजकीय रेल पुलिस, स्थानीय पुलिस, केंद्रीय/राज्य के खुफिया विभागों के साथ निकट समन्वय रखा जा रहा है। महिला यात्रियों की सुरक्षा एवं मदद हेतु ट्रेनों एवं प्रमुख स्टेशनों पर आरपीएफ की अतिरिक्त महिला कांस्टेबलों की टीम मेरी सहेली की तैनाती की गई है।
पूर्व मध्य रेल में पहली बार राज्य सरकार से समन्वय स्थापित करते हुए भीड़ नियंत्रण हेतु दानापुर मंडल में 100, सोनपुर मंडल में 40 तथा समस्तीपुर मंडल में 50 होमगार्ड को विभिन्न स्टेशनों पर तैनाती की गयी है।
समस्तीपुर मंडल में आरपीएफ, जीआरपी, एनसीसी, स्काउट एंड गाइड के लगभग 1,000 लोगों को भीड़ नियंत्रण के लिए तैनात किया जाएगा। प्रमुख स्टेशनों पर बनाया गया मे आइ हेल्प यू केंद्र यात्रियों की सहायता हेतु सभी प्रमुख स्टेशनों पर मे आई हेल्प यू सहायता बूथ चौबीसों घंटे कार्यरत हैं। साथ ही चिकित्सा सहायता बूथ भी बनाए गए हैं। अंतिम क्षणों में प्लेटफार्म नहीं बदले जाएंगे।
यात्रा टिकट प्राप्त करने में दिक्कत ना हो इसके लिए प्रमुख स्टेशनों पर आवश्यकतानुसार अतिरिक्त टिकट काउंटर एवं एटीवीएम के लिए अतिरिक्त फैसिलिटेटर का प्रावधान किया गया है। नशाखुरानी की घटनाएं ना हों, इसके लिए ट्रेनों की निगरानी की जा रही है और ऐसे मामलों पर नियंत्रण के लिए विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
स्टेशनों पर और ट्रेनों में पर्याप्त संख्या में आरपीएफ एवं जीआरपी की तैनाती की गई है। लंबी दूरी की ट्रेनों की सामान्य बोगियों में यात्रियों के चढ़ते समय धक्का-मुक्की न हो, इसके लिए आरपीएफ एवं जीआरपी द्वारा ज्यादा भीड़-भाड़ वाली ट्रेनों के सामान्य बोगियों में यात्रियों को कतारबद्ध तरीके से चढ़ाने की व्यवस्था की जा रही है ।
दानापुर मंडल के 73 ऐसे स्थलों को चिह्नित किया गया है, जहां रेलवे ट्रैक के आस-पास छठ घाट बनाए जाने की संभावना है। इसके मद्देनजर ऐसे सभी स्थलों पर सुरक्षा एवं निगरानी हेतु सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है । इस दौरान इन स्थलों से गुजरने वाली ट्रेनों को नियंत्रित गति से चलाया जाएगा।
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बालू, गिट्टी और मिट्टी के लिए जारी होंगे 5 तरह के चालान; अवैध खनन को रोकने के लिए नीतीश सरकार ने लिया बड़ा फैसला
राज्य ब्यूरो, पटना। बालू के साथ ही गिट्टी और मिट्टी के अवैध कारोबार पर रोक के लिए सरकार अब पांच प्रकार के ई-चालान जारी करने की तैयारी में है।
ये ई-चालान किलोमीटर के आधार पर अलग-अलग श्रेणी में बांटकर जारी होंगे। इससे जहां बालू-गिट्टी और मिट्टी के अवैध कारोबार पर रोक लगा सकेगी। वहीं, सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी।
ई-चालान को पांच श्रेणियों में बांटने का प्रस्तावखान एवं भू-तत्व विभाग की बड़ी परेशानी लघु खनिजों का अवैध कारोबार है। जिस पर रोक के लिए विभाग के स्तर पर कई प्रकार के उपाय किए गए हैं।
विभाग के सूत्रों ने बताया कि इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए विभाग ने ई-चालान को पांच श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव तैयार किया है।
प्रस्ताव के अनुसार ई-चालान शून्य से पांच किमी, पांच से 10 किमी, 10 से 50 किमी, 50 से सौ किमी और सौ से पांच सौ किमी के लिए जारी होंगे। ई-चालान को श्रेणी में बांटने से बालू, गिट्टी और मिट्टी पहुंचाने में जहां गाडिय़ों की कमी नहीं होगी। वहीं, गंतव्य तक इन लघु खनिजों को पहुंचाने में भी काफी कम वक्त लगेगा।
पोर्टल के माध्यम से जारी होते हैं ई-चालानबता दें कि बंदोबस्तधारी के लिए बालू, गिट्टी और मिट्टी को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए ई-चालान अनिवार्य है। ई-चालान विभाग द्वारा तैयार किए गए खनन सॉफ्ट पोर्टल के माध्यम से जारी होते हैं।
अभी जो व्यवस्था है उसके अनुसार एक वाहन का ई-चालान जारी होने पर उसके चार घंटे बाद ही उस गाड़ी के लिए दोबारा चालान जारी करना पड़ता है। यदि गाड़ी को पांच किमी तक जाकर बालू, गिट्टी या मिट्टी पहुंचाना हो तब भी उस गाड़ी को दूसरी जगह की ढुलाई के लिए चार घंटे बाद ही ई-चालान जारी होता है।
नई व्यवस्था प्रभावी होने से वाहनों को नए चालान के लिए बेवजह का इंतजार नहीं करना होगा। लघु खनिज ढोने के लिए वाहनों की कमी भी नहीं होगी।
साथ ही कम से कम समय में लघु खनिज को गंतव्य तक पहुंचाया जा सकेगा। जिससे राजस्व वृद्धि बढऩा तय है ऐसा सरकार ने माना है। इस व्यवस्था को इसी वित्तीय वर्ष से प्रभावी करने की विभाग की तैयारी है।
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डिजिटल डेस्क, पटना। 'बिहार कोकिला' के नाम से मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार रात करीब 9.20 बजे निधन हो गया। बुधवार सुबह उनका पार्थिव शरीर इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (आईजीआई) एयरपोर्ट पर पहुंचा। जहां से उन्हें पटना ला जा रहा है। उनका अंतिम संस्कार पटना में ही किया जाएगा।
शारदा सिन्हा एक गंभीर ब्लड कैंसर की बीमारी से जूझ रही थीं। जिसका नाम मल्टीपल मायलोमा बताया जा रहा है। इसका निदान 2018 में हुआ था। सोमवार को उनकी हालत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें वेंट पर रखा गया था।
शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने उनके अंतिम संस्कार के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनका पार्थिव शरीर सुबह करीब 9.40 बजे पटना पहुंचेगा।
शारदा सिन्हा के बेटे ने क्या कहा?अंशुमान सिन्हा ने कहा, 'हमने तय किया है कि मेरी मां (शारदा सिन्हा) का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर होगा, जहां मेरे पिता का अंतिम संस्कार हुआ था... इसलिए हम उनका पार्थिव शरीर पटना ले जाएंगे...'
अंशुमान सिन्हा ने बुधवार को कहा कि यह परिवार और उनके चाहने वालों के लिए दुख की घड़ी है, क्योंकि उन्होंने छठ पूजा के पहले ही दिन अंतिम सांस ली। अपनी मां को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी।
उन्होंने आगे कहा कि यह सभी के लिए सदमे से भरी बात है। मुझे यकीन है कि उनके चाहने वाले भी मेरी तरह दुखी होंगे। उनका मातृत्व उनके गीतों के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व में भी साफ झलकता था। वह छठ पूजा के पहले दिन हमें छोड़कर चली गईं... वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी...
मनोज तिवारी ने बिहार सरकार से की बातदूसरी ओर, भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि उनका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया जाएगा।उन्होंने कहा कि शारदा सिन्हा का निधन एक अपूरणीय क्षति है। उनके परिवार ने तय किया है कि उनका अंतिम संस्कार बिहार में ही होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस पर दुख जताया है।
मनोज तिवारी ने आगे कहा कि मैंने बिहार सरकार से भी बात की है, उनका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ होगा। यह मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है।
उन्होंने कहा था कि वह मेरे घर आएंगी, लेकिन अब यह वादा अधूरा रह जाएगा। वह हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी। भगवान उनके परिवार और उनसे प्यार करने वाले सभी लोगों को शक्ति प्रदान करें।
छठ पूजा उत्सव की शुरुआत 5 नवंबर को 'नहाय-खाए' की रस्म के साथ हुई थी। शारदा सिन्हा विशेष रूप से मधुर 'छठ महापर्व' गीतों के लिए जानी जाती हैं।
सभी नेताओं ने व्यक्त किया शोकइस बीच, प्रधानमंत्री मोदी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और अन्य नेताओं सहित विभिन्न राजनीतिक बिरादरियों ने शोक व्यक्त किया है।
72 वर्षीय सिन्हा ने भोजपुरी, मैथिली और हिंदी लोक संगीत में बहुत योगदान दिया है और लोक संगीत की अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों के लिए जानी जाती हैं।
बिहार के पारंपरिक लोक संगीत और अपने प्रतिष्ठित छठ गीत में अपने योगदान के लिए जानी जाने वाली शारदा सिन्हा को इस क्षेत्र की सांस्कृतिक राजदूत माना जाता है।
Sharda Sinha News: सहेलियों संग गा रही थीं शारदा सिन्हा, प्रधानाचार्य ने बुलाकर रिकॉर्ड कर लिया था गीत
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार की लोकप्रिय गायिका के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा खास तहजीब, अनुशासन की पक्की व आर्दश बहू, बेटी होने के साथ एक अच्छे कलाकार के रूप में लोगों के दिलों में जगह बनाए रहीं।
सुपौल जिले के हुलास गांव में जन्मीं शारदा आठ भाइयों की इकलौती बहन थीं। बचपन से ही उन्हें संगीत व नृत्य में रूचि थी। मैथिली लोक गीत से उनका प्रेम प्रगाढ़ था। बेगूसराय के सिंहमा में ससुराल थी। वे समस्तीपुर महिला कालेज में संगीत की प्रोफेसर और एचओडी के रूप में कुछ वर्षों तक सेवारत रहीं।
संगीत में उनके योगदान के लिए 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण से अलंकृत किया गया था। 2016 में सुपवो ना मिले माई.. और पहिले पहल छठी मैया.. जैसे छठ गीत के साथ उनकी लोकप्रियता में चार-चांद लगा।
पांच दशकों से बिहार की लोक गायन परंपरा की सशक्त हस्ताक्षर रहीं शारदा सिन्हा के गाए गीत आज भी लोगों के दिल-ओ-दिमाग में रचे बसे हैं।
परिवार का मिलता रहा सहयोगउन्हें बचपन से ही संगीत, नृत्य में रूचि थी। उनके पिता सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में अधिकारी थे। संगीत के प्रति उनके लगन को देख कर पिता ने भारतीय नृत्य कला मंदिर में प्रवेश दिलाया था। स्कूल के दिनों में जब वे अपनी सहेलियों के साथ गीत गा रही थीं, वहीं चुपके से हरि उप्पल (उनके शिक्षक) उनका गीत सुन रहे थे।
शारदा को प्रधानाचार्य कार्यालय में बुला कर उस गीत को टेप रिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर लिया था। वे कई बार कार्यक्रम के दौरान कहा करती थीं कि गायन के क्षेत्र में करियर को सक्रिय बनाने में उनके परिवार का सहयोग मिलता रहा। शास्त्रीय संगीत की शिक्षा के साथ मणिपुरी नृत्य को भी जानने का अवसर मिला।
उनका विवाह बेगूसराय के दियारा क्षेत्र सिहमा निवासी ब्रजकिशोर सिन्हा से हुआ था। सास को पसंद नहीं था मेरा गाना, पति देते थे हिम्मतशारदा सिन्हा कई बार बातचीत के दौरान बताती थीं कि भैया की शादी के बाद मेरी भी शादी की तैयारी होने लगी।
पिताजी ने शादी के पहले ही लड़के वालों को बता दिया था कि मुझे संगीत और नृत्य से खास लगाव है। किस्मत से मेरी तरह मेरे पति बृजकिशोर सिन्हा को भी गीतों से खास लगाव था। 1970 में जब शादी हुई और मैं अपने ससुराल बेगूसराय गई तो वहां का माहौल बिल्कुल अलग था।
वहां का रहन-सहन, तौर-तरीका के अलावा मैथिली भी अलग ढंग से बोली जाती थी। मेरा गाना सास को पसंद नहीं था। बाद के दिनों में स्थितियां बदलने के बाद सब कुछ सामान्य हो गया।
ससुराल में रहने के दौरान पहली बार तुलसीदास की रचना मोहे रघुवर की सुधि आई... गाकर सभी को सुनाया था। गाने के बाद सभी का आशीष मिला था। इसके बाद गीत गाने का सिलसिला आगे बढ़ता गया।
छठ गीतों के प्रति बढ़ता रहा आकर्षणशारदा सिन्हा का छठ गीतों के प्रति आकर्षण छठ घाट से हुआ था। वे बताती थीं कि बचपन से ही उनके घर में नानी पटना आकर छठ करती थीं। गंगा नदी में अर्घ्य देने जाते थे। छठ गीतों के स्वर कानों में पड़ते तो एक अलग खिंचाव होता था। इस दौरान गांव घर में गाए जाने वाले छठ गीत लिखे और रिकॉर्ड करते गए।
डोमिनी बेटी सुप लेले ठार छे... अंगना में पोखरी खनाइब, छठी मैया अइथिन आज.. मोरा भैया गैला मुंगेर... गीत को 1978 में रिकॉर्ड किया गया था। पहली बार उगो हो सूरज देव भइल अरघ केर बेर.. को लोगों का खूब प्यार मिला था।
केलवा के पात पर उगे ला सुरूज देव... हो दीनानाथ... सोना साठ कुनिया हो दीनानाथ.. आदि गीत नानी व सासु मां से सुनी थीं। इसके बाद पहली पहल हम कईनी छठी मैया व्रत त्योहार.. आदि गीत गाए।
शारदा सिन्हा के लिए हृदय नारायण ने लिखे गीतशहर के गीतकार हृदय नारायण झा ने बताया कि शारदा सिन्हा से 20-25 वर्षों से संबंध रहा। गीत के सिलसिले में उनसे मिलना होता था। उनके लिए चार भोजपुरी, पांच मैथिली, तीन विवाह गीत, तीन सावन भजन कुल मिला कर 15 गीत लिखे थे।
इसमें छठ गीत महिमा अपार छठी मैया.. सकल जगतारिणी हे छठी मैया... नदिया के तीरे-तीरे.. कार्तिक मास इंजोरिया... पहले पहल कइलि छठ मैया वरत तोहार.. आदि गीत लिखे गए थे।
इन गीतों को आवाज शारदा सिन्हा ने दी थी। मृत्यु से कुछ दिन पहले एम्स अस्तपाल से दुखवा मिटाई छठी मैया, रउए आसरा हमार... इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किया गया था। उन्होंने उनके गीतों को आवाज देकर अमर कर दिया।
गले को ठंडा रखने के लिए खाती थीं पानशारदा सिन्हा मृदुभाषी होने के साथ-साथ सामान्य जीवन व्यतीत करना पसंद करती थीं। उनके करीबी रहे हृदय नारायण ने बताया कि वे भोजन भी सामान्य रूप से करती थीं। बहुत कुछ खाने-पीने का शौक नहीं था। उन्हें जो भी मिलता था बड़े शौक से खाती थीं।
वे कार्यक्रम में जाने से पूर्व गले को ठंडा रखने के लिए पान खाती थीं। ऐसा नहीं था कि वे पान की आदी थीं। वैसे भी मिथिलांचल में पान मां भगवती को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इस कारण भी उन्हें थोड़ा बहुत पान के प्रति लगाव रहता था।
वे साथ में पान की डिब्बिया लेकर जाती थीं। हृदय नारायण झा भरे शब्दों में कहते हैं कि शारदा सिन्हा की तबीयत कोरोना के बाद से खराब बनी रही। छठ गीत को लेकर जब उनके घर गया तो वे कहती थीं कि तबीयत पूरी तरह से ठीक हो जाए तो बहुत कुछ काम करना है।
आप इंतजार करें कि हम जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद आपके साथ मिलकर कार्य करें। उन्होंने 1974 में पहली बार भोजपुरी गीत गाना शुरू किया था। भोजपुरी के गायक भिखारी ठाकुर और महेंद्र मिश्र के लिखे गीत 1979 में जगदंबा घर में दियरा बार अइनी हो.. रिकॉर्ड किया गया था।
इसके लिए एचएमवी से आर्टिस्ट आफ द इयर का पुरस्कार मिला था। उन दिनों भोजपुरी में बड़ा सम्मान माना जाता था।
आंगन से आरंभ हुआ लोक गीतों का सफरविभिन्न भाषाओं के गीतों को आवाज देने वाली शारदा सिन्हा ने अपने गीतों की शुरूआत भाई की शादी में गीत गा कर की थी।
उन्होंने स्वयं कहा था, पहली बार मैंने अपने भाई की शादी में गीत गाए थे। शादी में भाई से नेग मांगने को लेकर उन्होंने चुकैओ, हे दुलरुआ भैया, तब जहिया कोहबर आपन.. गीत गाए थे। इनके गीत को घर में खूब सम्मान मिला था।
फिल्मों में गाने का मिला था मौकाशारदा सिन्हा ने राजश्री प्रोडक्शन की सुपरहिट फिल्म हम आपके हैं कौन का गाना बाबुल जो तुमने सिखाया... ,मैंने प्यार किया का गाना कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां... जैसे गानों को अपनी आवाज दी थीं।
उन्होंने पहली बार बालीवुड अभिनेता सलमान खान की सुपरहिट फिल्म मैंने प्यार किया के लिए गीत गाया था। इनकी आवाज को लोगों ने खूब सराहा था। इसके अलावा गैंग्स आफ वासेपुर पार्ट टू और चार फुटिया छोकरे जैसी फिल्मों में अपनी आवाज दी।
अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स आफ वासेपुर में तार बिजली से पतले हमार पिया, ओ री सासु बता तूने ये क्या किया... गीत काफी लोकप्रिय हुआ। शारदा सिन्हा 2009 में बिहार विधान सभा चुनाव की ब्रांड अंबेसडर भी रहीं। 1988 में मारीशस के 20वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने गायन की प्रस्तुति से सभी का दिल जीती थीं।
शारदा सिन्हा के चर्चित गीत- रामजी से पूछे जनकपुर के नारी
- केलवा के पात पर उगेलन सुरुज देव
- कांचहि बांस के बहंगिया
- आन दिन उगइ छ हो दीनानाथ
- कहे तोसे सजना तोहरी सजनिया
- बाबुल जो तूने सिखाया जो तुमसे पाया
- तार बिजली से पतले हमारे पिया
- पनिया के जहाज से पलटनिया बनि अइह पिया
- पिरितिया काहे ना लगवले
- पटना से बैदा बोलाइ द
- बताव चांद केकरा से कहां मिले जाला
- 1991 : पद्मश्री सम्मानित
- 2001 : संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- 2006 : राष्ट्रीय अहिल्या देवी पुरस्कार
- 2015 : बिहार सरकार की ओर से सम्मानित
- 2018 : पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित
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